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मेरी मां

                                                                                                                                                   मेरी मां उसकी पहली आवाज़,जब मेरे कानों में यू पड़ी,  सोचती हूं आज भीं लौट आये काश वों घड़ी। मैं छोटी थी,तो करती थी हज़ार गलतियां, वों मां ही थी जो पहचानती थी, झट से मेरी सारी शैतानियां। जब पहली बार उसने छोड़ा था, मुझे स्कूल में, पूरा दिन रहीं परेशां, इसी फितूर में, कहीं चोट न मुझे लगे, तो मैं उसे बुलाऊंगी, ये सोच कर वो वापस नहीं गई, दरे स्कूल से। मैं हो गई हूं बड़ी ,उसे समझाती रही, पर वो हमेशां ,मेरी फिकर में घबराती रही। तेरी पायल की आवाज़, तेरे आने की आहट बताती है, तेरे आंचल से छूटते ही, ज़िन्दगी अपने रंग दिखाती है। मेरे हर सफर में ,तू ही साथ मेरे जाती है, मेरे हर इम्तेहान में ,तू भीं हमेशा जागी है, तू है तो मैं हूं, मैं हूं तो तू है, मेरी मां मेरी ज़िन्दगी की सबसे सच्ची साथी है। तेरे होने से, ही मेरा वजूद है, तू है बस, इसलिए मेरी ज़िन्दगी में सुकून है। अबीहा यही सच्चाई है ,दुन