मेरी ज़िन्दगी
मेरी
ज़िन्दगी
उन्हें पता है, अब शायद पहले जैसे मेरे हालात नहीं।।
फिर भीं चले आते हैं, मुझे बदनाम करने के लिये
मेरा बचा हुआ किरदार, तबाह करने के लिये।।
वो जानते हैं, मेरी बरबादी में कुछ उनके भीं निशां है
गुनाह कि उस तड़प से ,शायद वों भीं अब परेशां है।।
खत्म कर दिया, मैनें हाले जिन्दगी अब किसी को सुनाना
क्योंकि बन चुका है ये अब काफी पुराना फंसाना।।
अबीहा इन्तेख़ाब
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