वक्त के पांव कितनी तेजी से बढ़ते है।,,,,,,,,,,,,,,,,पर पीछे के निशान साथ ले कर चलते है।


वक्त के पांव कितनी तेजी से बढ़ते है।,,,,,,,,,,,,,,,,पर पीछे के निशान साथ ले कर चलते है।





क्या लगता है आपको कि वक्त के पांव सच में तेजी से बढ़ते है शायद आपकों को भीं ये सच लगता है क्या कहा हाँ, सच कहा चलिए तो इस वक्त की रफ्तार को किसी लड़की की जिन्दगीं से जोड कर चलते है जिसे मै जानती हू आप नहीं, पर जान जायेगे वक्त आपको समझा देगा, अभी लगता है जैसे कुछ दिनों पहले कि ही बात है मेरे घर के पड़ोस में एक प्यारी से बच्ची का जन्म हुआ रंग उजला हुआ जैसे चाँदनी की सारी ललिमा लपेट कर धरती पर आयी कोई सुंदरी आँखे इतनी बड़ी जैसे समुन्द्र की सारी जहाज़े उसमे खो जाये गरदन हिरनी जैसी होठ जैसे गुलाबों की रानी ने आपना बलिदान दे कर उसके होठो पर रक्त छिड़का हो उसकी सुंदरता देखकर पहला शब्द उसकी दादी के मुँह से निकला मैनें सुना लड़की हुई जब ये शब्द उनके मुहं से निकला तो मानो ऐसा लगा जैसे उनकी कोई बरसो की तपस्या का फल भगवान ने उनके लाख तप जाप करने के बाद नहीं दिया। पिता की बड़ी बड़ी आंखो ने जब उनके तरफ देखा तो उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्होने गलत शब्दो का जाल बिछाया फिर वो नजरे नीची करके मानो जैसे वो स्तब्ध हो कुछ ढूढ़ने लगी मुझे ऐसा लगा जैसे वो अपने पुराने ज़माने के ख्यालात को नये ज़माने के साथ जोड़ने का बंधन खोज रहीं हो, पर उनकी बदकिस्मती से उनको न मिला या ये कहिये उस बच्ची कि खुशकिस्मती से भगवान ने पहले ही उसके पिता के दिल में एक नया बंधन जोड़ दिया। कुछ समय के बाद उन्होंने उस बच्ची को उठाया और कहां चलो कोई नहीं लड़की हुई है तो क्या सुंदर तो हुई है ब्याह मे परेशानी नहीं होगी कही भगवान न करे अगर ये सुन्दर न होती तो किस के घर जाती। इन शब्दो को सुनने के बाद अभी थोड़ी देर पहले जिस बच्ची की सुन्दरता मुझे अधिक प्रिय लग रही थी जिसकी मै प्रशंसा कर रही थी अब यही सुंदरता की प्रशंसा इन शब्दो में सुन कर मानो ऐसा लगा जैसे नारी शक्ति की प्रतिभा पर इस बच्ची की सुन्दरता की इस प्रशंसा ने शब्द चिन्ह लगा दिया हो। मै सोचने लगी की क्या आज के जमाने मे भी ऐसे लोग है जो नारी को सिफ्र एक सुन्दर वस्तु के रुप में ही चाहते है जिसे जो चाहे उसकी सुन्दता के अनुरूप खरीद सके। मै यह सोच ही रही थी कि एक आवाज मेरे कानो में मेरी मां की आयी घर चलो बेटा तुम्हे आज कालेज के कैंप पर जाना है।

                                                                          अबीहा इन्तेख़ाब

Comments

  1. Bitter truth of our society....Congratulations to the writer ..keep it up👍

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